Thursday, February 16, 2012

कोई बात बने.........

मज़बूत कदम से मंज़िल ज़ानिब को बढो ,  
फ़िर कहना रास्ते में पत्थर थे.
इश्क़ मुश्क़ छुपते नहीं सबसे
छुपाने वाले पूरा चाँद  छुपा  लेते हैं .
रिश्ते निभाना भी आता नहीं  सबको ,  
निभाने वाले पूरी कायनात निभा लेते हैं .
आसमां  में सूराख करने को पत्थर क्यों ले लिए ,  
एक मुस्कान तेरी काफ़ी थी आसमानों के लिए.
कोरे कागज़ पर लकीरें कोई भी बना सकता है
उन लकीरों से बने इतिहास तो कोई बात बने.