Thursday, December 16, 2010

चल चलते हैं उस पार सनम

चल चलते हैं उस पार सनम
जहाँ लहरों की ख़ामोशी हों

जहाँ सांसों की मदहोशी हों
जहाँ जज्बों की बेहोशी हों

जहाँ आँखों से सरगोशी हों
चल चलते हैं उस पार सनम

इक नयी आस लगाने को
इक दिल की आग बुझाने को

इक दूजे  में खो जाने को
इक पल के नाम हो जाने को

चल चलते हैं उस पार सनम

जहाँ आसान सारी राहें हों
जहाँ इक दूजे की बाहें हों

जहाँ लब पे सर्द सी आहें हों
जहाँ प्यार की कुछ पनाहें हों

चल चलते हैं उस पार सनम

Friday, November 12, 2010

फ़ायदा.............

भूलने  वाले  से  कोई  कह  दे  ज़रा ,
इस  तरह  याद  आने  से  क्या  फ़ायदा,

जब  मेरे  दिल  की  दुनिया  बसाती  नहीं ,
फिर  ख्यालों  में  आने  से  क्या 
फ़ायदा .

क्या  कहूं  आपसे  कितनी  उमीदें  थी ,
आप  क्या  बदले  दुनिया  बदल  सी  गयी .

आसरा  दे  के  दिल  तोड़  देते  हैं  मेरा ,
इस  तरह  सताने  से  क्या 
फ़ायदा .

चार  तिनके  जला  के  क्या  मिल  गया ,
मिट  सका  ना  ज़माने  से  मेरा  निशाँ .

मुझपे  बिजली  गिराओ  तो  जानू  सही ,
आशिआने  पर  गिराने  से  क्या  फैदा .

" रोये हैं बुहत "

रोये  हैं  बहुत  तब  ज़रा  करार  मिला  है
इस  जहाँ  में  किसे  भला  साचा  प्यार  मिला  है
गुज़र  रही  है  ज़िन्दगी  इम्तेहान  की  दौर  से
एक  ख़तम  हुआ  तो  दूसरा  तैयार  मिला  है
मेरे  दामान  को  खुशियों  का  नहीं  मलाल
ग़म  का  खज़ाना  जो  इसको  बेशुमार  मिला  है
वो  कमनसीब  हैं  जिन्हें  महबूब  मिल  गया
मैं  खुशनसीब  हु  मुझे  इंतज़ार  मिल  गया
ग़म  नहीं  मुझे  की  दुश्मन  हुआ  यह  ज़माना
जब  दोस्त  हाथो में  लिए  तलवार  मिला  है
सब  कुछ  खुदा  ने  तुम  को  भला  कैसे दे  दिया
मुझे  तो  उसके  दर  से  सिर्फ  इनकार  ही  मिला  है

!!!Dil Ki Baat Zaban Tak Lana!!!

Dil Ki Baat Zaban Tak Lana Kitna Mushkil Hai
Halay Dil Auroon Ko Sunana Kitna Mushkil Hai
Aik Humain Hai Teri Chahat,Aik Dunya Ki Majbori
Beech Samandar Diya Jalana Kitna Mushkil Hai
Tum Dunya Ki Shedai Ho,Main Sapnoon Ka Bashinda
Sath Humain Yuhn Tera Nibhana Kitna Mushkil Hai
Aik Naye Dunya Ki Chahat Lay Aye Hai Kitni Dor
Wapis Laut K Ghar Ko Jana Kitna Mushkil Hai
Wehshat K Saaz Pay Raksaan Matam K Kuch Alfaaz
In Hontoon Pay Geet Sajana Kitna Mushkil Hai
Apnay Hontoon Say Ana K Talay Hum Say Na Khol Payen Gain
Dor Hotay Sathi Ko Bholna Mitna Mushkil Hai
Ab Tu Har Aik Hi Hum Ko Dard Ka Mara Lagta Hai
Apnay Zakham Logon Ko Dekhana Kitna Mushkil Hai
Roz Muhj Say Aik Naye Tamana Karta Hai Yeh Mera Dil
Is Nadaan Bachay Ko Samjhana Kitna Mushkil Hai
Hum Ankhoon Say Kehnay Walay Tum Hontoon Ko Sunanay Walay
Apni Chahat Yuhn Tumhain Batana Kitna Mushkil Hai

तेरा नाम

मेरे शीशे के दिल पे ,
तूने बेवफ़ाई का पत्थर दे मारा ,
अरमानों के टुकड़े हो गये हज़ार ,
हर टुकड़े पे लिखा है बस तेरा नाम !
रात भर तेरे इंतेज़ार में ,
मैं दीये सा जलता रहा ,
परवाने से पूछ लेना की ,
कैसे रात भर मैं लेता रहा बस तेरा नाम
राह में तेरी मैं कब से ,
पलकें बिछाए बैठा रहा ,
इंतज़ार की इंतेहाँ तक हो गयी ,
हर सांस पे लेता रहा बस तेरा नाम !
तू शमा सी जलती रही ,
मैंने परवाने सा प्यार किया ,
जल कर राख तक हो गया ,
उसी राख से लिख गया हूँ बस तेरा नाम !
तेरा हर इनकार मुझे  ,
शूल सा चुभता रहा ,
जख्म अब नासूर हो गये है
फिर भी हर आहः पे लेता रहा बस तेरा नाम !
तुझसे प्यार करने का
जुर्म मुझसे हो गया ,
सज़ा में रुसवाई की क़ैद मिली मुझे,
अब एक -एक दिन कटता है लेकर बस तेरा नाम !

Monday, September 27, 2010

Tum yaad awogay

kabhi khamosh betho gay
kabhi kuch gun gunow gay
main itna yaad awoga mujhy jitna bhulow gay
koi jab poch bethy ga khamoshi ka sabab tumsay
bahut samjhana chaho gay magar samjha na powgay
kabhi duniya mukamal ban k ayegi nighahon main
kabhi meri kami duniya ki her sheh main powgay
kahin per bhi rahain hum or tum mohabbat phir mohabbat hay
tumhain hum yaad ayain gay hamain tum yaad awogay

Mohabat Maar Bhi Sakti Hai

Jisey tum chaho
Tumhien wo roog kehta hu
K jis nay kudh chahat say tumhara haath thama hu
Wo appney dil k darwasey
Tumhien par band kar dey tu
Mohabat maar bhi sakti hai
Tumhey sangsaar karney ko sang baantey loogon mien
Saba ko rookney ko qufal daley dariechon pay
Kar k band ghar k darwasey
Saba par pehrey lagaey tu
Mohabat maar bhi sakti hai
Ye kis nae keh dia tum say
Mohabat maar nahi sakti
K jab koi tumhien jan say guzar janey ko kehta hu
Aadhi rah mien kudh hi murr jaey
Wo apni bewafaiey ka kudh hi aitaraf karey tu
Mohabat maar bhi sakti hai

Monday, September 6, 2010

खुदा का नाम देते हैं

लोग मोहब्बत को खुदा का नाम देते हैं ।
कोई करता है तो इल्जाम देते हैं ।
आँसू में ना ढूढना हमें, दिल मैं हम बस जाएँगे, 
तमन्ना हो अगर मिलने की, तो बंद आँखों मैं नज़र आएँगे. 
लम्हा लम्हा वक़्त गुजर जाएँगा, चँद लम्हो मैं दामन छूट जाएगा, 
आज वक़्त है दो बातें कर लो हमसे, कल क्या पता कौन आपके ज़िंदगी मैं आ जाएगा. 
पास आकर सभी दूर चले जाते हैं, हम अकेले थे अकेले ही रह जाते हैं, 
दिल का दर्द किसे दिखाएँ, मरहम लगाने वाले ही ज़ख़्म दे जाते हैं, 
वक़्त तो हूमें भुला चुका है, मुक़द्दर भी ना भुला दे, 
दोस्ती दिल से हम इसीलिए नहीं करते, क्यूंकि डरते हैं,
कोई फिर से ना रुला दे, ज़िंदगी मैं हमेशा नये लोग मिलेंगे, 
कहीं ज्यादा तो कहीं कम मिलेंगे, ऐतबार ज़रा सोच कर करना, 
मुमकिन नही हर जगह तुम्हे हम मिलेंगे. खुशबू की तरह आपके पास बिखर जाएँगे, 
धड़कन बन कर दिल मे उतर जाएँगे, महसूस करने की कोशिश तो कीजिए, 
दूर होते हो भी पास नजर आएँगे !

Monday, August 30, 2010

जिंदगी क्यों उदास रहती है!

जिंदगी क्यों उदास रहती है!
जिंदगी क्यों उदास रहती है
तू कभी दूर-दूर रहती है
तो कभी आसपास रहती है।
जिंदगी क्यों उदास रहती है।
 
पत्थरों के जिगर को क्या देखें
ये भी चुपचाप कहा करते हैं,
यूं पड़े हैं पड़ी हो लाश कोई
ये भी कुछ दर्द सहा करते हैं
बेकरारी है ख्वाहिशें भी हैं
उनसे मिलने की प्यास रहती है।
जिंदगी क्यों उदास रहती है।
 
चंद रंगीनियों से बांधा है
ज्यों मदारी का ये पुलिंदा हो,
आसमानों की खूब बात करे
बंद पिंजरे का ज्यों परिंदा हो,
हो मजारों पे गुलाबी खुशबू,
बात हो आम, खास रहती है।
जिंदगी क्यों उदास रहती है।
 
क्यों सितारों में भटकती आंखें
क्यों जिगर ख्वाहिशों में जीता है,
क्यों जुंवा रूठ-रूठ जाती है
क्यों बशर आंसुओं को पीता है,
क्यों नजर डूब-डूब जाती है
फिर भी क्यों एक आस रहती है।
जिंदगी क्यों उदास रहती है।
 
रात भर रोशनी में रहता हूं,
अब तलक रौशनी नहीं देखी,
चांद निकला है ठीक है यारों,
पर अभी चांदनी नहीं देखी,
और क्या देखने को बाकी है
जिंद में जिंदा लाश रहती है।
जिंदगी क्यों उदास रहती है।

Friday, August 20, 2010

अपनी तो दुनिया.............

बहुत दिन हुए वो तूफ़ान नही आया,
उस हसीं दोस्त का कोई पैगाम नही आया,
सोचा में ही कलाम लिख देता हूँ,
उसे अपना हाल- ए- दिल तमाम लिख देता हूँ,
ज़माना हुआ मुस्कुराए हुए,
आपका हाल सुने... अपना हाल सुनाए हुए,
आज आपकी याद आई तो सोचा आवाज़ दे दूं,
अपने दोस्त की सलामती की कुछ ख़बर तो ले लूं
खुशी भी दोस्तो से है,
गम भी दोस्तो से है,
तकरार भी दोस्तो से है,
प्यार भी दोस्तो से है,
रुठना भी दोस्तो से है,
मनाना भी दोस्तो से है,
बात भी दोस्तो से है,
मिसाल भी दोस्तो से है,
नशा भी दोस्तो से है,
शाम भी दोस्तो से है,
जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,
जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,
मौहब्बत भी दोस्तो से है,
इनायत भी दोस्तो से है,
काम भी दोस्तो से है,
नाम भी दोस्तो से है,
ख्याल भी दोस्तो से है,
अरमान भी दोस्तो से है,
ख्वाब भी दोस्तो से है,
माहौल भी दोस्तो से है,
यादे भी दोस्तो से है,
मुलाकाते भी दोस्तो से है,
सपने भी दोस्तो से है,
अपने भी दोस्तो से है,
या यूं कहो यारो,
अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है,

Saturday, August 14, 2010

वादा तो कर .....

समझते हैं वो के पत्थर हैं हम
उनको ठोकर मार जायेगे हम
वो एक बार कह दे नफरत है हम से
खुदा कसम पत्थर तो क्या फूल बनकर भी राह में नहीं आयेगे......

ज़िन्दगी में बहुत बार वक़्त ऐसा आयेगा जब
तुमको चाहने वाला ही तुमको रुलाएगा
पर विश्वाश रखना उस पर
अकेले में वो तुमसे कही ज्यादा आंसू बहाएगा...
ना पूछ के मेरे सबर की इन्तहा कहा तक है
तू सितम करके देख तेरी ताकत जहा तक है
वफ़ा की उम्मीद उन्हें होगी पर
देखना है के तू बेवफा कहा तक है ..
कुछ लोग सितम करने को तैयार बैठे हैं
कुछ लोग हम पैर दिल हार बैठे हैं
इश्क को आग का दरिया ही समझ लीजिये
कुछ इस पर कुछ उस पर बैठे हैं ..
वो हम को पत्थर और खुद को फूल कह कर मुस्कुराया करते हैं
उन्हें क्या पता पत्थर तो पत्थर ही रहते है फूल ही मुरझाया करते हैं ..
कुछ खोने का गम ही डर की वजह बनता है
इसलिए आओ तमाम गमो को अपनी खुशियों मे बदले
और साबित कर दे की
डर के आगे जीत है ..
बिता लेंगे तेरे इंतजार मे ज़िन्दगी
तू एक बार आने का वादा तो कर
हम बना लेंगे अपने हाथो से कबर अपनी
तू चिराग जलाने का वादा तो कर .....

Thursday, August 12, 2010

जब से तू है गई

पतझड़ हो गया मेरा संसार
जब से तूने छोड़ दिया है साथ
ना जाने क्या भूल हुई
जब से तू है गई
मेरी जिंदगी मुझसे दूर हुई
तेरे बगैर सब कुछ अधूरा है
ये घर, ये आँगन
ये नदी का किनारा, वो बगीचा

अब इस आम पर कोयल नहीं आती
उसका वो मधुर कलरव
चीख बन गया है अब
जब से तू है गई ...

बगिया में नहीं खिला कोई गुलाब
माटी की वो सौंधी खूशबू कहाँ खो गई
तेरे जाने से खुशियाँ मुझसे जुदा हो गई
अब नहीं बजती मंदिर में घंटियाँ
सुनाई देती है हर जगह दर्द की चीख
हर कोई दुखी है मेरे दर्द में

और ना सता, अब आजा तू बन के बहार
उड़ेल दे आँचल से मेरे जीवन में प्यार
कर फिर से वो सोलह श्रृंगार
कि आ जाए फिजाओं में बहार
बुला ले उस कोयल को
जो मधुर गीत है गाती
रख दे मेरी आँखों पे हथेली
आजा सामने तू हँसती मुस्कुराती।

Monday, August 9, 2010

Saya.......

Phir kisi yaad ne raat bhar hai jagaya mujhko
Kiya saza di hay mohabat nay khudaya mujhko

Din ko aaram hai na rat ko hai chain kabhi
Janay kis khaak say kudrat nay banaya mujhko

Dukh to yeh hai keh zamanay main milay ghair sabhi
Jo mila hai woh mila ban ke paraya mujhko

Jab koi bhi na raha kandha mere ronay ko
Ghar ki deewaron ne seenay say lagaya mujhko

Aab to umeed-e-wafa tum say nahein hai koi
Phir charaghon ki tarah kis ne jalaya mujhko

Bewafa zindagi ne jab chor diya hai tanha
Maut ne pyaar say pehloo main bithaya mujhko

Woh diya hoon jo mohabbat ne jalaya tha kabhi
Gham ki andhi ne subah aur shaam bujhaya mujhko

Kaisay bhoolon ga tere saath guajare lamhay
Yad aata raha julfon ka hi saya mujhko.....

Aakhir Kyu........

Ye dil tujhe itni shiddat se chahta kyu hai
Har saans ke sath tera hi naam aata kyu hai

Tu kitna bhi mujhse talkh e talluk rakhle
Zikr phir bhi tera meri zaban pe aata kyu hai

Yuh to hai kayi fasle tere mere bich
Lgata phir bhi tu mujhko meri jaan sa kyu hai

Teri furkat main tadapne ki ho chuki hai adat meri
Tere dur hone ka phir bhi ehsaas mujko rulata kyu hai

Ye jaanti hu ke tujhko nahi mohabbat mujhse
Magar phir bhi lab pe mere tera hi naam aata kyu hai

Hai yaqeen tujhko paana na hoga mumqeen mere liye
Ye dil phir bhi roz umeed ki shama jalata kyu hai

Mehsus ki hai berukhi teri baato mian kayi baar maine
Lehjo wo phir bhi tera mujhko itna bhata kyu hai

Hai khabar mujhko nikalega tu meri chahat ka janaza ek din
Mann mera phir bhi tere khwab sajata kyu hai

Gar bichad na hi hai to khuda humko milata kyu hai
KAMSIN ko akhir wo itna satata kyu hai
 
Dil mera tujhko itni shiddat se chahta kyu hai
Har saans ke sath tera hi naam aata kyu hai

Thursday, August 5, 2010

छूना है आसमाँ...


छूना है आसमाँ...
घर से चला हूँ अकेला,
संग संग ख्वाबों का मेला.
छूना है आसमाँ...
 
रंग मुझे दो फूलों अपना,
चित्र बनाऊँ, बुनूं सपना;
कोयल देना ऐसा पंचम,
गीत जिंदगी, साँसे सरगम.
छूना है आसमाँ...

पंख लगाके उडे हौसला,
बादल पर मैं करूं घोसला;
मंजिल पाने के जोश में
भरलू चंदा आगोश में.
छूना है आसमाँ...

बात हवा से करता हूँ मैं,
बनकर जुगनू फिरता हूँ मैं;
होंठ कली के मैं चूमूँगा,
पीकर खुशबू मैं झूमूँगा.
छूना है आसमाँ...

सूरज नयनों में भर लूँगा,
दुनिया रोशन मैं कर दूँगा;
खुशी बाँटते आऊँगा मैं,
जन्नत नीचे लाऊँगा मैं.
छूना है आसमाँ...

Thursday, July 29, 2010

Kabhi khamosh betho gay.......................

Kabhi khamosh betho gay,kabhi kuch gun gunow gay
Main itna yaad awoga mujhy jitna bhulow gay
Koi jab poch bethy ga khamoshi ka sabab tumsay
Bahut samjhana chaho gay magar samjha na powgay
Kabhi duniya mukamal ban k ayegi nighahon main
Kabhi meri kami duniya ki her sheh main powgay
Kahin per bhi rahain hum or tum mohabbat phir mohabbat hay
Tumhain hum yaad ayain gay hamain tum yaad awogay

Waada yaad rakhna

Kiya hai tumne hum se ek Haseen waada yaad rakhna
Bhool na jaana kahin apna irada yaad rakhna
Ab na hamain rulana tum, ab na door jaana tum
Pehle hi seh chuke hain dukh itna ziyada yaad rakhna
Dil to na dukhaoge mujhe chorr to na jaoge
Dil main hi base ho tum ab isse abaad rakhna
Tum jo chorr jaoge hum to mar hi jayenge
Tumhare dam se Zindagi hai sirf itna yaad rakhna
Chahton ki Duniya main Roshni tum hi se hai
  Dil torr ke hamain chorr ke kahin na jaana yaad rakhna

Kyun aaj teri ankhon main.......

Kyun aaj teri ankhon main kho janay ko jee chahta hai,
Kyun aaj teri bahoon main sama janay ko jee chahta hai,
Na hamain koi rukawat hai na koi pabandi,
Phir kyun aaj baybus ho janay ko jee chahta hai,
Hum jinhe chahen zaruri to nahi k woh bhi chahen,
phir kyun aaj teri khamosh chahaton ko chahney ko jee chahta hai,
Bhool gaye hum har ik cheez ko teri yaad main kho kar,
Phir kyun aaj teri yadon main kho janay ko jee chahta hai,
  Kitnay nazuk hai yah hont k jinhe choo lenay ki saza mout hai,
Phir kyun aaj inhi hontoon ko choo lenay ko jee chahta hai,
Siyah raat k daman main Chamakte chand ko,