Monday, August 30, 2010

जिंदगी क्यों उदास रहती है!

जिंदगी क्यों उदास रहती है!
जिंदगी क्यों उदास रहती है
तू कभी दूर-दूर रहती है
तो कभी आसपास रहती है।
जिंदगी क्यों उदास रहती है।
 
पत्थरों के जिगर को क्या देखें
ये भी चुपचाप कहा करते हैं,
यूं पड़े हैं पड़ी हो लाश कोई
ये भी कुछ दर्द सहा करते हैं
बेकरारी है ख्वाहिशें भी हैं
उनसे मिलने की प्यास रहती है।
जिंदगी क्यों उदास रहती है।
 
चंद रंगीनियों से बांधा है
ज्यों मदारी का ये पुलिंदा हो,
आसमानों की खूब बात करे
बंद पिंजरे का ज्यों परिंदा हो,
हो मजारों पे गुलाबी खुशबू,
बात हो आम, खास रहती है।
जिंदगी क्यों उदास रहती है।
 
क्यों सितारों में भटकती आंखें
क्यों जिगर ख्वाहिशों में जीता है,
क्यों जुंवा रूठ-रूठ जाती है
क्यों बशर आंसुओं को पीता है,
क्यों नजर डूब-डूब जाती है
फिर भी क्यों एक आस रहती है।
जिंदगी क्यों उदास रहती है।
 
रात भर रोशनी में रहता हूं,
अब तलक रौशनी नहीं देखी,
चांद निकला है ठीक है यारों,
पर अभी चांदनी नहीं देखी,
और क्या देखने को बाकी है
जिंद में जिंदा लाश रहती है।
जिंदगी क्यों उदास रहती है।

Friday, August 20, 2010

अपनी तो दुनिया.............

बहुत दिन हुए वो तूफ़ान नही आया,
उस हसीं दोस्त का कोई पैगाम नही आया,
सोचा में ही कलाम लिख देता हूँ,
उसे अपना हाल- ए- दिल तमाम लिख देता हूँ,
ज़माना हुआ मुस्कुराए हुए,
आपका हाल सुने... अपना हाल सुनाए हुए,
आज आपकी याद आई तो सोचा आवाज़ दे दूं,
अपने दोस्त की सलामती की कुछ ख़बर तो ले लूं
खुशी भी दोस्तो से है,
गम भी दोस्तो से है,
तकरार भी दोस्तो से है,
प्यार भी दोस्तो से है,
रुठना भी दोस्तो से है,
मनाना भी दोस्तो से है,
बात भी दोस्तो से है,
मिसाल भी दोस्तो से है,
नशा भी दोस्तो से है,
शाम भी दोस्तो से है,
जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,
जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,
मौहब्बत भी दोस्तो से है,
इनायत भी दोस्तो से है,
काम भी दोस्तो से है,
नाम भी दोस्तो से है,
ख्याल भी दोस्तो से है,
अरमान भी दोस्तो से है,
ख्वाब भी दोस्तो से है,
माहौल भी दोस्तो से है,
यादे भी दोस्तो से है,
मुलाकाते भी दोस्तो से है,
सपने भी दोस्तो से है,
अपने भी दोस्तो से है,
या यूं कहो यारो,
अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है,

Saturday, August 14, 2010

वादा तो कर .....

समझते हैं वो के पत्थर हैं हम
उनको ठोकर मार जायेगे हम
वो एक बार कह दे नफरत है हम से
खुदा कसम पत्थर तो क्या फूल बनकर भी राह में नहीं आयेगे......

ज़िन्दगी में बहुत बार वक़्त ऐसा आयेगा जब
तुमको चाहने वाला ही तुमको रुलाएगा
पर विश्वाश रखना उस पर
अकेले में वो तुमसे कही ज्यादा आंसू बहाएगा...
ना पूछ के मेरे सबर की इन्तहा कहा तक है
तू सितम करके देख तेरी ताकत जहा तक है
वफ़ा की उम्मीद उन्हें होगी पर
देखना है के तू बेवफा कहा तक है ..
कुछ लोग सितम करने को तैयार बैठे हैं
कुछ लोग हम पैर दिल हार बैठे हैं
इश्क को आग का दरिया ही समझ लीजिये
कुछ इस पर कुछ उस पर बैठे हैं ..
वो हम को पत्थर और खुद को फूल कह कर मुस्कुराया करते हैं
उन्हें क्या पता पत्थर तो पत्थर ही रहते है फूल ही मुरझाया करते हैं ..
कुछ खोने का गम ही डर की वजह बनता है
इसलिए आओ तमाम गमो को अपनी खुशियों मे बदले
और साबित कर दे की
डर के आगे जीत है ..
बिता लेंगे तेरे इंतजार मे ज़िन्दगी
तू एक बार आने का वादा तो कर
हम बना लेंगे अपने हाथो से कबर अपनी
तू चिराग जलाने का वादा तो कर .....

Thursday, August 12, 2010

जब से तू है गई

पतझड़ हो गया मेरा संसार
जब से तूने छोड़ दिया है साथ
ना जाने क्या भूल हुई
जब से तू है गई
मेरी जिंदगी मुझसे दूर हुई
तेरे बगैर सब कुछ अधूरा है
ये घर, ये आँगन
ये नदी का किनारा, वो बगीचा

अब इस आम पर कोयल नहीं आती
उसका वो मधुर कलरव
चीख बन गया है अब
जब से तू है गई ...

बगिया में नहीं खिला कोई गुलाब
माटी की वो सौंधी खूशबू कहाँ खो गई
तेरे जाने से खुशियाँ मुझसे जुदा हो गई
अब नहीं बजती मंदिर में घंटियाँ
सुनाई देती है हर जगह दर्द की चीख
हर कोई दुखी है मेरे दर्द में

और ना सता, अब आजा तू बन के बहार
उड़ेल दे आँचल से मेरे जीवन में प्यार
कर फिर से वो सोलह श्रृंगार
कि आ जाए फिजाओं में बहार
बुला ले उस कोयल को
जो मधुर गीत है गाती
रख दे मेरी आँखों पे हथेली
आजा सामने तू हँसती मुस्कुराती।

Monday, August 9, 2010

Saya.......

Phir kisi yaad ne raat bhar hai jagaya mujhko
Kiya saza di hay mohabat nay khudaya mujhko

Din ko aaram hai na rat ko hai chain kabhi
Janay kis khaak say kudrat nay banaya mujhko

Dukh to yeh hai keh zamanay main milay ghair sabhi
Jo mila hai woh mila ban ke paraya mujhko

Jab koi bhi na raha kandha mere ronay ko
Ghar ki deewaron ne seenay say lagaya mujhko

Aab to umeed-e-wafa tum say nahein hai koi
Phir charaghon ki tarah kis ne jalaya mujhko

Bewafa zindagi ne jab chor diya hai tanha
Maut ne pyaar say pehloo main bithaya mujhko

Woh diya hoon jo mohabbat ne jalaya tha kabhi
Gham ki andhi ne subah aur shaam bujhaya mujhko

Kaisay bhoolon ga tere saath guajare lamhay
Yad aata raha julfon ka hi saya mujhko.....

Aakhir Kyu........

Ye dil tujhe itni shiddat se chahta kyu hai
Har saans ke sath tera hi naam aata kyu hai

Tu kitna bhi mujhse talkh e talluk rakhle
Zikr phir bhi tera meri zaban pe aata kyu hai

Yuh to hai kayi fasle tere mere bich
Lgata phir bhi tu mujhko meri jaan sa kyu hai

Teri furkat main tadapne ki ho chuki hai adat meri
Tere dur hone ka phir bhi ehsaas mujko rulata kyu hai

Ye jaanti hu ke tujhko nahi mohabbat mujhse
Magar phir bhi lab pe mere tera hi naam aata kyu hai

Hai yaqeen tujhko paana na hoga mumqeen mere liye
Ye dil phir bhi roz umeed ki shama jalata kyu hai

Mehsus ki hai berukhi teri baato mian kayi baar maine
Lehjo wo phir bhi tera mujhko itna bhata kyu hai

Hai khabar mujhko nikalega tu meri chahat ka janaza ek din
Mann mera phir bhi tere khwab sajata kyu hai

Gar bichad na hi hai to khuda humko milata kyu hai
KAMSIN ko akhir wo itna satata kyu hai
 
Dil mera tujhko itni shiddat se chahta kyu hai
Har saans ke sath tera hi naam aata kyu hai

Thursday, August 5, 2010

छूना है आसमाँ...


छूना है आसमाँ...
घर से चला हूँ अकेला,
संग संग ख्वाबों का मेला.
छूना है आसमाँ...
 
रंग मुझे दो फूलों अपना,
चित्र बनाऊँ, बुनूं सपना;
कोयल देना ऐसा पंचम,
गीत जिंदगी, साँसे सरगम.
छूना है आसमाँ...

पंख लगाके उडे हौसला,
बादल पर मैं करूं घोसला;
मंजिल पाने के जोश में
भरलू चंदा आगोश में.
छूना है आसमाँ...

बात हवा से करता हूँ मैं,
बनकर जुगनू फिरता हूँ मैं;
होंठ कली के मैं चूमूँगा,
पीकर खुशबू मैं झूमूँगा.
छूना है आसमाँ...

सूरज नयनों में भर लूँगा,
दुनिया रोशन मैं कर दूँगा;
खुशी बाँटते आऊँगा मैं,
जन्नत नीचे लाऊँगा मैं.
छूना है आसमाँ...