Monday, April 11, 2011

मशरुर कर दो.........

मुझे अपने बदन की खुसबू से मशरुर कर दो 
मुझे अपनी नाज़ुक बाँहों में मशरुर कर दो 

सीने से लगा का सारे ग़म दूर कर दो 
मैं तुमसे जुदा न हो पाऊँ इतना मजबूर कर दो

लेके बाहों में तुझे होटों से इतना चूम लू 
फासले शर्म -ओ-हया के तुम भी दूर कर दो

मेरी नस नस में बस जाये जान प्यार तेरा 
मैं किसी और को न देखूं इतना मगरूर कर दो

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