Monday, April 11, 2011

तेरी सोच से निकल जाऊंगा.........

तेरे शहर तेरी सोच से निकल जाऊंगा 
किसी उदास शाम में ढल जाऊंजा 

तू जो मुकर गया है हर बात से अपनी 
देख लेना एक दिन मैं नही बदल जाऊंगा 

मत दिखा मुझको अपना पशेमान चेहरा 
जा के तू जानता है मई पिघल जाऊंगा 

चाहे लाख तरपू  तेरे इन्तजार में 
मत लौट के आना मैं संभल जाऊँगा 

तेरा होना इतना ज़रूरी तो नहीं है
मैं तो यादों के खिलोनों से बेहाल जाऊँगा

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