Friday, November 12, 2010

तेरा नाम

मेरे शीशे के दिल पे ,
तूने बेवफ़ाई का पत्थर दे मारा ,
अरमानों के टुकड़े हो गये हज़ार ,
हर टुकड़े पे लिखा है बस तेरा नाम !
रात भर तेरे इंतेज़ार में ,
मैं दीये सा जलता रहा ,
परवाने से पूछ लेना की ,
कैसे रात भर मैं लेता रहा बस तेरा नाम
राह में तेरी मैं कब से ,
पलकें बिछाए बैठा रहा ,
इंतज़ार की इंतेहाँ तक हो गयी ,
हर सांस पे लेता रहा बस तेरा नाम !
तू शमा सी जलती रही ,
मैंने परवाने सा प्यार किया ,
जल कर राख तक हो गया ,
उसी राख से लिख गया हूँ बस तेरा नाम !
तेरा हर इनकार मुझे  ,
शूल सा चुभता रहा ,
जख्म अब नासूर हो गये है
फिर भी हर आहः पे लेता रहा बस तेरा नाम !
तुझसे प्यार करने का
जुर्म मुझसे हो गया ,
सज़ा में रुसवाई की क़ैद मिली मुझे,
अब एक -एक दिन कटता है लेकर बस तेरा नाम !

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