Saturday, August 14, 2010

वादा तो कर .....

समझते हैं वो के पत्थर हैं हम
उनको ठोकर मार जायेगे हम
वो एक बार कह दे नफरत है हम से
खुदा कसम पत्थर तो क्या फूल बनकर भी राह में नहीं आयेगे......

ज़िन्दगी में बहुत बार वक़्त ऐसा आयेगा जब
तुमको चाहने वाला ही तुमको रुलाएगा
पर विश्वाश रखना उस पर
अकेले में वो तुमसे कही ज्यादा आंसू बहाएगा...
ना पूछ के मेरे सबर की इन्तहा कहा तक है
तू सितम करके देख तेरी ताकत जहा तक है
वफ़ा की उम्मीद उन्हें होगी पर
देखना है के तू बेवफा कहा तक है ..
कुछ लोग सितम करने को तैयार बैठे हैं
कुछ लोग हम पैर दिल हार बैठे हैं
इश्क को आग का दरिया ही समझ लीजिये
कुछ इस पर कुछ उस पर बैठे हैं ..
वो हम को पत्थर और खुद को फूल कह कर मुस्कुराया करते हैं
उन्हें क्या पता पत्थर तो पत्थर ही रहते है फूल ही मुरझाया करते हैं ..
कुछ खोने का गम ही डर की वजह बनता है
इसलिए आओ तमाम गमो को अपनी खुशियों मे बदले
और साबित कर दे की
डर के आगे जीत है ..
बिता लेंगे तेरे इंतजार मे ज़िन्दगी
तू एक बार आने का वादा तो कर
हम बना लेंगे अपने हाथो से कबर अपनी
तू चिराग जलाने का वादा तो कर .....

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