Thursday, August 5, 2010

छूना है आसमाँ...


छूना है आसमाँ...
घर से चला हूँ अकेला,
संग संग ख्वाबों का मेला.
छूना है आसमाँ...
 
रंग मुझे दो फूलों अपना,
चित्र बनाऊँ, बुनूं सपना;
कोयल देना ऐसा पंचम,
गीत जिंदगी, साँसे सरगम.
छूना है आसमाँ...

पंख लगाके उडे हौसला,
बादल पर मैं करूं घोसला;
मंजिल पाने के जोश में
भरलू चंदा आगोश में.
छूना है आसमाँ...

बात हवा से करता हूँ मैं,
बनकर जुगनू फिरता हूँ मैं;
होंठ कली के मैं चूमूँगा,
पीकर खुशबू मैं झूमूँगा.
छूना है आसमाँ...

सूरज नयनों में भर लूँगा,
दुनिया रोशन मैं कर दूँगा;
खुशी बाँटते आऊँगा मैं,
जन्नत नीचे लाऊँगा मैं.
छूना है आसमाँ...

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