Monday, December 12, 2011

ज़िन्दगी.....................

ज़िन्दगी में दो लहजा कोई मेरे पास न बैठा,
आज सब मेरे पास बेठे जा रहे थे .
कोई तोहफा न मिला आज तक मुझे ,
और आज फूल ही फूल दिए जा रहे थे .
तरस गया मन किसी के हाथ से दिए एक कपडे को ,
और आज नए नए कपडे ओढ़ाए जा रहे थे .
दो क़दम साथ न चलने वाले ,
आज काफ्ला बना कर चले जा रहे थे …
आज पता चला के मौत इतनी हसीं होती हैं.
और हम तो यूँही जिए जा रहे थे ….

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