मज़बूत कदम से मंज़िल ए ज़ानिब को बढो ,
फ़िर न कहना रास्ते में पत्थर थे.
इश्क़ मुश्क़ छुपते नहीं सबसे,
छुपाने वाले पूरा चाँद छुपा लेते हैं .
रिश्ते निभाना भी आता नहीं सबको ,
निभाने वाले पूरी कायनात निभा लेते हैं .
आसमां में सूराख करने को पत्थर क्यों ले लिए ,
एक मुस्कान तेरी काफ़ी थी आसमानों के लिए.
कोरे कागज़ पर लकीरें कोई भी बना सकता है ,
उन लकीरों से बने इतिहास तो कोई बात बने.